पूर्व में सोवियत संघ में शामिल रहे तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में एक बड़ा-सा गड्ढा है जिसे 'गेट्स ऑफ़ हेल' यानी 'नरक का दरवाज़ा' कहा जाता है. तुर्कमेनिस्तान के 70% हिस्से में काराकुम रेगिस्तान है. 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर के इस रेगिस्तान के उत्तर की तरफ गेट क्रेटर यानी दरवाज़ा क्रेटर नाम का बड़ा-सा गड्ढा है. इस गड्ढे के बारे में कनाडाई एक्सप्लोरर जॉर्ज कोरोनिस ने बीबीसी को बताया
"जब मैंने पहली बार इसे देखा और इसके पास की ज़मीन पर मैंने पैर रखा तो इस गड्ढे से आने वाली गर्म हवा सीधे मेरे चेहरे पर लग रही थी. मुझे लगा कि ये ऐसी जगह है जिसमें से शैतान खुद हाथों में हथियार लिए निकला होगा."
क्या है इस नरक के दरवाज़े की पूरी कहानी?
69 metre चौड़े और 30 metre गहरे इस गड्ढे में कई वर्षो से आग धधक रही है लेकिन इसका कारण शैतान नहीं इससे निकलने वाली Natural Gas Methane है 2013 में National Geographic channel के लिए बनाये जा रहे एक program के दौरान तुर्कमेनिस्तान के गड्ढे तक पंहुचा था
कनाडाई एक्सप्लोरर जॉर्ज कोरोनिस इसी दल के Member थे
प्रचलित कहानी की माने तो साल 1971 में Soviet sangh के भूवैज्ञानिक Karakum के Desert कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे
यहाँ एक जगह पर इन्हे कच्चे तेल के भंडार मिले Research के दौरान वही की जमीं धस गयी और 3 बड़े आकर के गड्ढे बन गए उनसे Natural Gas Methane के रिसने का खतरा था जो वायु मंडल में घुल सकती थी
एक theory के अनुसार इसे रोकने के लिए भूवैज्ञानिक ने इनमे से 1 गड्ढे में आग लगा दी उनका मानना था की कुछ हफ्तों में Methane
खत्म हो जाएगी और आग अपने आप बुझ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ
जॉर्ज कोरोनिस ने आस - पास के लोगो से पूछताछ में बतया यहाँ के स्थानीय लोगो में इस आग के बारे में कोई जानकारी नहीं है
इसमें आग लग्न भी एक रहस्य है कुछ लोग कहते है इसमें जानबूझ कर आग लगायी गयी और कई कहते है की आग दुर्घटना वश लगी और कई कहते है आग Storm Lightning की वजह से लगी
हर साल करीब 6 हजार सैलानियों वाले इस देश के लिए Methane उगलने वाला ये गड्ढा देश के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक बन चूका है
ये गड्ढा रात को भी कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है
0 Comments